चलो सारा सामान जांच लेते हैं,
एक और बार,
सभी बक्सों में से,
जो सालों से बंद है,
धूल इकट्ठा करने में मशगूल,
कोनों में,
अलमारियों के ऊपर,
पलंगों के नीचे,
जहां भी उन्हें रहने या छिपने के लिए जगह मिली।
कितने छोटे,
और बड़ी चीजें,
बक्सों में हैं,
जो रखी थी,
यह सोचकर कि जरूरत पड़ने पर,
उन्हें निकाला जाएगा,
लेकिन भूल गए,
समय की अवधि में,
उनको मौका मिला,
धूल इकट्ठा करने को,
या आसपास मकड़ी के जाले उगाने को।
Photo credit: Winter Jefferson on VisualHuntकुछ दवाएं हो सकती हैं,
कुछ शैंपू,
या कुछ तेल,
मसाले आदि
एक बार खोल कर,
प्रत्येक की जांच करना आवश्यक है,
इतने सालों बाद,
फेंकना भी जरूरी है,
जो समाप्त हो चुके हैं,
क्योंकि वे किसी काम के नहीं हैं,
उन का उपयोग करना,
अपना नुकसान करने के बराबर हो सकता है।
वैसे इस बहाने,
कुछ खाली जगह बन जाएगी,
जहां हम कुछ उपयोगी सामान रख सकेंगे,
या उन बेकार बक्सों को फेंक कर,
वहां पहुंचेगी ताजी हवा,
और साथ-साथ कुछ खाली जगह बढ़ जाएगी।
मुझे याद,
मैंने एक बार कुछ कहा था,
भावनाओं में इतना तेज,
जिसने तुम्हें घंटों रुलाया था।
ऐसी बहुत सी बातें,
सालों पुरानी,
मुझे अभी तक याद हैं।
तुम्हे भी याद होंगी,
मेरे बारे में ऐसी बहुत सी बातें,
उनमें से कुछ,
मन में कहीं दब चुकी होंगी,
ऐसे ही, बक्सों में सामान की तरह,
वर्ष दर वर्ष।
ये अधूरी पुरानी यादें,
इतनी जगह घेर चुकी हैं,
जिन में बहुत ऐसी हैं, जिनका,
कुछ करने को नहीं है,
हमारे आज के जीवन के साथ,
और हमारी खुशी से।
फिर भी,
वो पल पड़े हैं,
पुरानी यादों से भरे हुए,
कुछ जगह तो चाहिए होगी,
याद में आज की मधुर अनुभूति रखने को,
इसलिये,
दिल और दिमाग में जगह बनानी है।
वो डिब्बे, और,
उनमें यादें,
हानिकारक हो सकता है,
अप्रभावी, या,
अर्थहीन भी।
हमें करने दो,
एक बार फिर,
उन बक्सों को खोलने का यत्न,
जो धूल चाट रहे हैं
हमारे दिलों,
और दिमाग में,
सालों से।
चलो उनको खोलते हैं,
आकलन करना,
समाप्ति तिथि,
उन सभी यादों की।
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