इस दहलाने वाले माहौल में दिल को बहला रहे हैं।।
जानते हैं हालांकि ये कोशिश नाकाम है और रहेगी।
फिर भी खुद को इन्हीं बातों से महफ़ूज़ करा रहे हैं।।
तुम कहते हो सब ठीक है पर जानते हो कि नहीँ है।
ये हालात ही ऐसे हैं लगातार कमज़ोर बना रहे हैं।।
झगड़ने की कोई वज़ह भी तो हो या फिर ऐसे ही।
बेवजह अंधेरे में जुगनू की रोशनी से भरमा रहे हैं।।
ये जो कहते हैं अपने को मसीहा ये करो ये ना करो।
वक़्त का फायदा उठा कर सब को बरगला रहे हैं।।
तुम भी और हम भी यूँ तो जानते हैं वक़्त खराब है।
और कुछ है भी नहीं सो इसी का साथ निभा रहे हैं।।
चेहरे की मायूसियों को देखने की कोशिशें फिजूल।
चेहरे के हर रंग को अब महज सब से छुपा रहे हैं।।
अब क्या बताऊँ ये फ़ुरसतियाना क्या फ़ुरसतियाना।
एक उम्मीद है जब कहें अच्छे से फ़ुरसतिया रहे हैं।।
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ReplyDeleteThanks for stopping by and commenting. I appreciate. 👍 😊
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