Wednesday, April 07, 2021

फ़ुरसतिया - एक कविता #BlogchatterA2z #हिन्दी #कविता #hindipoetry #hindi

कुछ ख़ास नहीँ है करने को बस फ़ुरसतिया रहे हैं।
इस दहलाने वाले माहौल में दिल को बहला रहे हैं।।

जानते हैं हालांकि ये कोशिश नाकाम है और रहेगी।
फिर भी खुद को इन्हीं बातों से महफ़ूज़ करा रहे हैं।।

तुम कहते हो सब ठीक है पर जानते हो कि नहीँ है।
ये हालात ही ऐसे हैं लगातार कमज़ोर बना रहे हैं।।

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Photo credit: FraVal Imaging on Visualhunt.com

झगड़ने की कोई वज़ह भी तो हो या फिर ऐसे ही।
बेवजह अंधेरे में जुगनू की रोशनी से भरमा रहे हैं।।

ये जो कहते हैं अपने को मसीहा ये करो ये ना करो।
वक़्त का फायदा उठा कर सब को बरगला रहे हैं।।

तुम भी और हम भी यूँ तो जानते हैं वक़्त खराब है।
और कुछ है भी नहीं सो इसी का साथ निभा रहे हैं।।

चेहरे की मायूसियों को देखने की कोशिशें फिजूल।
चेहरे के हर रंग को अब महज सब से छुपा रहे हैं।।

अब क्या बताऊँ ये फ़ुरसतियाना क्या फ़ुरसतियाना।
एक उम्मीद है जब कहें अच्छे से फ़ुरसतिया रहे हैं।।

This post is powered by Blogchatter. I’m participating in #BlogchatterA2Z - 2021

2 comments :

  1. I coudnt read hindi. but enjoyed your pervious posts.

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    1. Thanks for stopping by and commenting. I appreciate. 👍 😊

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Thanks for visiting and commenting.

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