एक प्यार ऐसा भी तो होता होगा
शाख पर खिले नाज़ुक से पत्ते लहलहाते मुस्कुराते हुए ।
बिना तेज़ धुप या बारिश की परवाह किये
रात और दिन से बेख़ौफ़
हवाओं की ताल से ताल मिलते हुए ।।
एक प्यार ऐसा भी तो होता होगा
घुप्प अँधेरे में ज़मीन के नीचे
मिटटी में दबे दबे
बिना अपने दर्द की परवाह किये
बिना अपने वजूद की चाह लिए
बेइंतहा प्यार देना जैसे एक फ़र्ज़ हो ।
सिर्फ इसलिए की मुझ से जुड़े
ज़मीन के ऊपर शाख पर
लहलहाते पत्ते बेख़ौफ़ बेफिक्र
हवा के झोंकों से खेलते रहे ।।
शाख पर खिले नाज़ुक से पत्ते लहलहाते मुस्कुराते हुए ।
बिना तेज़ धुप या बारिश की परवाह किये
रात और दिन से बेख़ौफ़
हवाओं की ताल से ताल मिलते हुए ।।
एक प्यार ऐसा भी तो होता होगा
घुप्प अँधेरे में ज़मीन के नीचे
मिटटी में दबे दबे
बिना अपने दर्द की परवाह किये
बिना अपने वजूद की चाह लिए
बेइंतहा प्यार देना जैसे एक फ़र्ज़ हो ।
सिर्फ इसलिए की मुझ से जुड़े
ज़मीन के ऊपर शाख पर
लहलहाते पत्ते बेख़ौफ़ बेफिक्र
हवा के झोंकों से खेलते रहे ।।
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