गुन्जयाशों के दौर में
हर कोई
अपने पांव के नीचे
की ज़मीन
खो कर भी
बेफिक्र है
एहसास इस बात का
की एक दिन हरेक शख्स
को आखिरी सांस के बाद
अपनी अंतिम मंजिल की तरफ
बढना है
सब कुछ जानते हुए भी
अनजान रहना
कितना अजीब है
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