आज तेरे हुस्न के आशिक़ हैं बहुत।
जिसको देखें तेरी तारीफ़ बांधे बैठा है,
तमाम महफ़िल में तेरे चर्चे हैं बहुत,
हरएक नूर फीका है तेरे नूर के आगे,
तेरे नूर के आगे सब बेनूर हैं बहुत।
ये अच्छी बात तेरे हिस्से में हैं 'आज',
जितने भी हों, 'कल' भी आने हैं बहुत।
इस आज के होते कल को भूल ना जाना,
उस कल के तोहफे भी मिलने हैं बहुत।
कल भी महफिलें तो होंगी मगर कोई और,
उन महफिलों में आशिक़ भी होने हैं बहुत।
तब मगर तेरा हुस्न पड़ा होगा कहीं फीका सा,
तेरे ही ना होंगे यूँ तो होने ज़रूर हैं चर्चे बहुत।
जैसे तू आज है कल कोई और होगा नूर का टुकड़ा,
कल तुझे ही सताने ये आज के खयाल आयेंगे बहुत।
तारीफें कल भी होंगी, मगर किसी और की,
तू है? कहाँ है? ये सोचने वाले ना होने हैं बहुत।
ये आज के तोहफ़े तो सहेज कर रख जितने भी,
कल जो मिलने हैं वो होने सिर्फ़ दर्द हैं बहुत।
कल मैं आऊंगा तेरे पास एक दोस्त का कंधा बन के,
तू करना दर्द का साँझा, मेरे कंधे मज़बूत हैं बहुत।
Oh. Wish I could read hindi.
ReplyDeleteSo nice. 👍 😊
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