Monday, July 13, 2020

उसकी खामोशी से

उसकी खामोशी से जो निकली ग़ज़ल
हर लफ्ज़ पे इक रूहानी सुरुर छा गया
सारी महफ़िल कुछ इस तरह मदहोश हुई
इश्क़ पे ख़ुद ब ख़ुद इबादत का रंग आ गया
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