Monday, September 17, 2012

अपनी ख़ामोशी को जब तक सुन सको

तुम्हे अगर यकीन है की तुम हो
तो तुम हो
कोई और माने या ना माने
ये ज़रूरी नहीं
तुमको जब तक है यकीन तब तक
तो तुम हो

जो सुना तुमने अपने कानो से सुना
जो देखा अपनी आँखों से
तो फिर किसी और की दिखाई राह पर
चलना क्यूँ हो

अपने दिल की
अपनी ख़ामोशी की
अपने दिमाग की
सुनो
और जब तक ये
सुन सको
तो यकीन रखो कि अपनी ताकत
तो तुम हो

अपनी ख़ामोशी को जब तक सुन सको
याद रखना की तुम
तुम ही हो

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