Sunday, September 06, 2015

#My2MinutePoem ज़िन्दगी एक बोन्साई



कुछ तो तन्हाईयों ने मेरा ज़िक्र किया होगा
चुपके से
तेरे ज़ेहन में
वर्ना तेरे ख्यालों के सफ़ेद पन्नों पर 
मेरा नाम न लिखा जाता अनजाने में 
जैसे तेरी उँगलियों से
रेत  पर, समुन्दर किनारे । 

वर्ना तेरी नम आँखों 
में यकायक मेरी तसवीरें न उभरती। 

वर्ना तेरे उदास चेहरे पर 
मुस्कराहट और फिर 
उस मुस्कराहट के पीछे का दर्द 
जल्दी से सिमट कर सहम कर 
बर्फ के पिघले पानी सा 
जड़ न हो जाता। 

चलो कुछ देर के लिए 
मान लो 
मैं यहीं हूँ ,
तुम्हारे पास। 


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