कुछ तो तन्हाईयों ने मेरा ज़िक्र किया होगा
चुपके से
तेरे ज़ेहन में
वर्ना तेरे ख्यालों के सफ़ेद पन्नों पर
मेरा नाम न लिखा जाता अनजाने में
जैसे तेरी उँगलियों से
रेत पर, समुन्दर किनारे ।
रेत पर, समुन्दर किनारे ।
वर्ना तेरी नम आँखों
में यकायक मेरी तसवीरें न उभरती।
वर्ना तेरे उदास चेहरे पर
मुस्कराहट और फिर
उस मुस्कराहट के पीछे का दर्द
जल्दी से सिमट कर सहम कर
बर्फ के पिघले पानी सा
जड़ न हो जाता।
चलो कुछ देर के लिए
मान लो
मैं यहीं हूँ ,
तुम्हारे पास।
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