Thursday, December 16, 2021

कभी याद आये तो बुलाना #pebbleinwaterswrites #hindipoetry

 बरसों पहले

हम मिले पहली बार

जाने क्या सूझा तुम्हें

कि शाम के धुँधलाते चेहरे में

क्या दिखा तुम्हें कि 

तुमने चुपके से मेरा हाथ पकड़ा

बहुत मासूमियत से

और छत के एक कौने में हम बैठ गए

चुपचाप, बिना कुछ सुनने समझने की

कोशिश किए।

 

और जब उसने आ कर पूछा तुमसे

तो तुमने मासूमियत से जवाब दिया

"ओह! मुझे लगा ये वो है।"

अभी तक याद है मुझे वो लंबा समय 

जो कुछ ही पलों में सिमट कर

बहुत कुछ कह गया

और फिर वो जाने कहाँ बह गया।

 

तुझे याद है क्या वो अब तक?

है तो मुझे बुलाना 

अपनी खिड़की के पल्लू से

अटकती फूलों की डाल हिलाना।

कभी याद आये तो बुलाना #pebbleinwaterswrites #hindipoetry
Photo credit: CapCat Ragu on Visualhunt.com

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फिर एक और याद

उभर आयी 

उसी बचपन की

वोही मैं

एक कमरे के बाहर

खिड़की की सलाखों को

मासूम हाथों से पकड़े 

अपना अपना मुहँ उन सलाखों में दबाये

बिल्कुल चुपचाप, अचरज भरी निगाहों से

कमरे में रखे शीशे के बक्से में

रखी अलग अलग रंगों की

छोटी छोटी मछलियों को, निहारते।

 

कितना समय हम वहीं खड़े रहे

जड़ से, मंत्रमुग्ध, मुझे नहीँ याद

कब मेरी आंखें मछलियों से हट कर

तेरे चेहरे पर आ टिकी

सामने से भी खूबसूरत महीन

रंग बिरंगी मछलियाँ

मैंने देखी तेरे चेहरे पर, तेरी आंखों में

लहराती। 

 

क्या तुझे याद है? 

ये हमारी दूसरी और

आखिरी मुलाक़ात। 

 

याद है तो ज़रा अपनी खिड़की 

के पल्लू में अटकी हुई फूलों की

टहनियों को हल्के से हिलाना

और ज़मीन पर गिरे हुए फूलों को

समेट कर के एक कोने में

दीवार के साथ लगा कर

रख देना। 


उनके सूखने का, 

तेरे मिलने का, 

और अपने गुम होने का, 

हम तीनों मिल कर 

इंतजार करेंगे। 



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