Monday, June 21, 2021

कौन आवाज़ उठाएगा यहां? #ghazal #ग़ज़ल

कहां कहां नहीं हुए हैं।
हादसे ज़ुबां ज़ुबाँ हुए हैं।।

ग़मों में नींद तो गई सो गई।
आँख से ख़्वाब भी काफूर हुए हैं।

उसकी बातों में शोखियां इक तो।
उसपे कहना के हम बिगड़े हुए हैं।।

किसको है रंज दूर जाने का।
पास के रंग सब धुंधले हुए हैं।।

कौन आवाज़ उठाएगा यहां?
सब तो इक उम्र से सहमे हुए हैं।।


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